Tuesday, August 7, 2007

'भोज बेरि कुम्हर रोपैय छथि

समस्तीपुर । जिले के सात प्रखंड की करीब दस लाख की आबादी बाढ़ की विभिषिका से पूरी तरह जूझ रही है। लोग क्या तो अपने घरों के छत पर शरण लिये हुये हैं या फिर बांध या ऊंचे स्थानों पर अपना डेरा डाले हुये हैं। ऐसा नहीं है कि इन क्षेत्रों में बाढ़ की संभावना पूर्व से नहीं थी। इस बात को प्रशासन भी जानती थी और प्रभावित प्रखंड के लोग भी। जहां तक प्रभावित लोगों का सवाल है तो जैसे-तैसे जो बन सका पहले से कुछ न कुछ तैयारी तो कर ही लिये थे। किंतु सरकार एवं प्रशासन पिछले तीन महीनों से बाढ़ की संभावना को लेकर पूरी तरह अपने को तैयारी में जुटे रहने की बात कह रह थी। किंतु जब समय आया तो.. तैयारी की सब पोल खोल गयी। तटबंध की मरम्मति से लेकर राहत एवं बचाव तक की तैयारी कर लेने का दावा करने वाले प्रशासन का पोल उस समय खुल गया जब पिछले एक सप्ताह से अधिकांश प्रभावित गांवों के बीच राहत नहीं पहुंच पाया। हालांकि नाव की कमी एवं अन्य संसाधनों का अभाव की बात को भी प्रशासन सिरे से खारिज करती है। किंतु सच्चाई यह है कि जो काम तीन महीने पूर्व कर लेना चाहिए वह काम अब किया जा रहा है। समस्तीपुर अनुमंडल कार्यालय में कुछ मजदूरों के द्वारा नाव की मरम्मति की जा रही है। नाव की मरम्मति देख एक सज्जन तपाक से बोल उठे- 'भोज बेरि कुम्हर रोपैय छथि'। खैर जो भी हो रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ से उत्पन्न स्थिति एवं चलाये जा रहे राहत एवं बचाव कार्य की समीक्षा करते हुये कहा कि सेना के द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में एयर ड्रापिंग की जायेगी। हालांकि रविवार की शाम कल्याणपुर प्रखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में एयर ड्रापिंग की गयी। लोगों में एक आशा की किरण जगी है। इधर सामाजिक संगठनों के द्वारा भी राहत कार्य में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखायी जा रही है। फलस्वरूप सरकारी राहत पर ही बाढ़ पीड़ित का ध्यान टिका हुआ है।

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