Friday, August 3, 2007

मधुबनी के राजकिय नलकुप स्वंग प्यासॆ हैं

मधुबनी। कृषि योग्य भूमि को सिंचित करने का जिम्मा उठा रखे राजकीय नलकूप विभाग अपने कर्तव्य के निर्वहन में विफल साबित हो रहा है। ऐसा नहीं कि इसके पास राशि नहीं है। सिंचाई के लिए राजकीय नलकूप नहीं हैं। कार्य करवाने के लिए पदाधिकारी नहीं हैं। काम करने के लिए कर्मचारी नहीं है। सब कुछ रहने के बावजूद जमीन को एक बूंद भी पानी नहीं मिल रहा है। अपनी-अपनी नाकामयाबी छिपाने के लिए विद्युत व राजकीय नलकूप विभाग एक दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं। और किसान सिंचाई के लिए भगवान भरोसे हैं। विभागीय सूत्रों के मुताबिक नलकूप गाड़ने का काम निरंतर जारी है बावजूद खेतों को पानी नहीं मिल रहा है। विभागीय लापरवाही का नमूना है कि करोड़ों रूपये की ड्रीलिंग मशीन शहर के गोशाला रोड स्थित गोशाला परिसर में सड़ रही है और भाड़े की मशीन से ड्रीलिंग का काम हो रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक जिले में पूर्व से नाम के लिए तकरीबन 222 राजकीय नलकूप हैं,जिसमें से मात्रा 54 नलकूप ही चालू हालत में हैं। वित्तीय वर्ष 2005-06 एवं 2006-07 में नाबार्ड फेज 3 व नाबार्ड फेज 8 में क्रमश: 9 एवं 52 राजकीय नलकूप गाड़े गये। एक भी चालू स्थिति नहीं है। जबकि इन सब के पास जेनरेटरों की सुविधा है। सूत्रों का कहना है कि जेनरेटर इतना डीजल खाता है कि कोई भी किसान इसका उपयोग नहीं करते हैं। जेनरेटरों की गुणवत्ता पर भी किसान प्रश्नचिह्न उठा रहे हैं। इन फेजों में गाड़े गये नलकूपों के नाले अंडरग्राउंड हैं। बताया जाता है कि नालों की स्थिति अच्छी नहीं है। नाबार्ड फेज तीन के तहत रहिका के बहतारा, बसुआरा, कमलपुर, सरैमा, सतधारा, बरहाटोल एवं राजनगर प्रखंड के खोईर बांध, कोईलख एवं मैरन में नलकूप गाड़े गये थे। इसी तरह नाबार्ड फेज 8 के तहत राजनगर में 10, लदनियां में 2, खुटौना में 4, अंधराठाढ़ी में 2, बाबूबरही में 2, खजौली में 4, फुलपरास में 4, बिस्फी में 4, बेनीपट्टी में 2, रहिका में 14 एवं पंडौल में 4 राजकीय नलकूप गाड़े गये थे। कार्यालय सूत्रों की मानें तो रहिका के बहतारा गांव स्थित गाड़े गये राजकीय नलकूप को छोड़ कर सभी बंद की स्थिति में हैं। बंद पड़े नलकूपों को चालू स्थिति में लाने की बजाय चालू वित्तीय वर्ष में नाबार्ड फेज 11 के अन्तर्गत करीब 100 नलकूप गाड़े जाने का लक्ष्य है। नलकूप गाड़े जा रहे हैं। विभागीय कर्मियों का कहना है कि नये नलकूप गाड़ने में जितनी राशि खर्च हो रही है उससे कम ही राशि में बंद पड़े नलकूपों को चालू किया जा सकता है।

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