Sunday, September 30, 2007

पुलिस भर्ती में लड़कियों का यौन शोषण

उत्तरप्रदेश में तत्कालीन मुलायम सरकार के कार्यकाल में हुए पुलिस भर्ती घोटाले की जाँच कर रही समिति के अध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र ने रविवार को यह कहकर सनसनी फैला दी कि भर्ती के दौरान बड़े पैमाने पर लड़कियों का यौन शोषण किया गया। सरकार ने जाँच के बाद 7400 और पुलिसकर्मियों को बर्खास्त किया है।मिश्रा ने कहा कि पुलिस भर्ती के नाम पर महिलाओं का शारीरिक शोषण भी किया गया। मिश्र ने कहा कि उनकी पिछले 30 वर्षों की नौकरी के दौरान ऐसा अभूतपूर्व भ्रष्टाचार उन्होंने कभी नही देखा। समझा जा रहा है कि पुलिस भर्ती के नाम पर बड़ा सेक्सकांड हुआ था।आईपीएस अधिकारी मिश्र ने कहा कि उनके लिए पुलिस भर्ती में अनियमितताओं की जाँच करना दुखद कार्य रहा क्योंकि पिछले तीस वर्षों की नौकरी के दौरान उन्होंने ऐसा न देखा था न सुना। उन्होंने कहा कि जो जाँच में निकलकर आया वह अभूतपूर्व है, जिसके कारण उन्हें कठोर निर्णय लेना पड़ा और उसकी संस्तुति शासन को भेजनी पड़ी।मुझे शर्म आ रही है : मिश्र ने कहा कि उन्हें बताते हुए शर्म आ रही है कि न जाने कितनी ही लडकियों ने उनसे रो-रो कर कहा कि उनका भर्ती स्थान पर मौके पर ही शारीरिक शोषण किया गया। समिति अध्यक्ष ने बड़ी बेबाकी से कहा कि इतना गंभीरतम भ्रष्टाचार करने का साहस किसी अधिकारियों में नहीं था। उन्होंने कहा कि जाँच के दौरान भर्ती बोर्ड के अध्यक्षों ने उनसे कहा कि 85 प्रतिशत अभ्यर्थियों के नामों की सूची ऊपर से आई थी।अयोग्य अभ्यर्थियों को नौकरी मिली : मिश्र ने कहा कि पुलिस भर्ती मे अनेक चयनित अभ्यर्थी मूल अर्हता जैसे लम्बाई 167.7 सेमी, शैक्षिक योग्यता एवं जाति आधार पर योग्यता नहीं रखते। 600 से ज्यादा अभ्यर्थियों की प्रारम्भिक जाँच में पाया गया कि वे रंगों का भेद भी नही कर सकते थे। सैकड़ों चयनित अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं में ओवर राइटिंग तथा दूसरों की हैंडराइटिंग में कॉपी लिखी मिली।शैलजाकांत मिश्र ने कहा कि वे तो केवल चयनित अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं की जाँच कर रहे हैं। यदि सभी परीक्षार्थियों की जाँच की जाए तो बहुत समय लगेगा। उन्होंने कहा कि भर्ती के लिए साक्षात्कार भी अभूतपूर्व ढंग से हुआ।उन्होंने बताया कि गोरखपुर में एक दिन में 2500 से ज्यादा अभ्यर्थियों के साक्षात्कार लिए गए। अभ्यर्थियों के साक्षात्कार समूह में 15 से 40-40 अभ्यर्थियों का एक साथ लिया गया। साक्षात्कार कुछ का 8 सेकंड तो अन्यों का 20-20 सेकंड में निपटाया गया। चयनित अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में 20 में से 20 अंक दिए गए।चयन बोर्ड के अध्यक्षों का कहना था कि ऊपर से आदेश थे कि भर्ती तत्काल खत्म करनी है। उन्होंने बताया कि एक चयन बोर्ड ने तीन जगह भर्ती की और तीनों ही जगह कट ऑफ नम्बर 118 ही था। उन्होंने बताया कि चयनित अभ्यर्थियों की ब्रॉडशीट जिसे पुलिसिया भाषा में डड्डा कहते हैं बनी ही नहीं।वायरलेस भर्तियों में भी धाँधली : मिश्र ने कहा कि वायरलेस की भर्तियों में भी जमकर धाँधली हुई। पुलिस विभाग का कंप्यूटर सेंटर होने के बावजूद एक निजी कंप्यूटर एजेंसी क्यूबट्रान को दिया गया और वहाँ उत्तर पुस्तिकाओं में एक शीट पर अनेक जगह सफेदा पाया गया। कंप्यूटर एजेंसी द्वारा ‍दी गई ओएमआर शीट पर किसी अधिकारी ने जाँच कर अपने हस्ताक्षर तक नहीं किए।जाँच के दौरान साक्ष्य माँगे जाने पर कंप्यूटर एजेंसी ने हार्डडिस्क को फार्मेट कर दिया और कोई फ्लापी, सीडी तक नहीं दी। उन्होंने बताया कि इस कंप्यूटर एजेंसी के मालिक जितेन्द्र पांडेय व उनके सहयोगियों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कराने का निर्णय लिया गया है।ठोस सबूत नहीं : कुल मिलाकर मिश्रा का यही कहना था कि वर्ष 2005-06 में पुलिस भर्तियों में गंभीरतम भ्रष्टाचार हुए, जिसका आधार घूस जरूर हुआ होगा। यद्यपि इसका कोई ठोस सबूत अभी उनके हाथ नही आया है। फिर भी उन्हें खेद है कि उनके समकक्ष अधिकारियों ने इतना घिनौना काम किया।

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